केन्द्रीय शिक्षा मंत्री ने लीलावती अवार्ड 2020 की शुरुआत की
केन्द्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने वर्चुअल माध्यम से लीलावती अवार्ड-2020 की शुरुआत की है। यह एआईसीटीई की महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए नवोन्मेषी शिक्षा कार्यक्रम पहल है।
महिलाओं के सशक्तिकरण के मुख्य लक्ष्य के साथ इस पुरस्कार का उद्देश्य महिलाओं में साफ–सफाई, शारीरिक स्वच्छता, स्वास्थ्य, पोषण, साक्षरता, रोजगार, प्रौद्योगिकी, धन संचय, मार्केटिंग, नवोन्मेष, कुशलता विकास, प्राकृतिक संसाधन और महिलाओं के अधिकारों के बारे में जागरूकता लाना है।
लीलावती अवार्ड 2020 के लिए प्रवेश पत्र संस्थान या टीम के स्तर पर प्रस्तुत किए जा सकते हैं, जिसमें छात्र या संकाय या एआईसीटीई द्वारा अनुमोदित संस्थान दोनों शामिल हैं। एआईसीटीई ने कहा कि विभिन्न संस्थानों से प्राप्त योग्य प्रविष्टियों का मूल्यांकन एक समिति द्वारा किया जाएगा और विजेता टीम को हर उप–विषय के तहत पहले, दूसरे और तीसरे रैंक के लिए प्रमाण पत्र मिलेंगे।
इस मौके पर एआईसीटीई के सदस्य सचिव प्रोफेसर राजीव कुमार, एआईसीटीई के अध्यक्ष प्रोफेसर अनिल सहस्रबुद्धे, एआईसीटीई के उपाध्यक्ष प्रोफेसर एम. पी. पूनिया, नई शिक्षा नीति की प्रारूप समिति की सदस्य वसुधा कामत और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) के बारे में
अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद की स्थापना नवंबर 1945 में राष्ट्रीय स्तर के शीर्ष सलाहकार निकाय के रूप में की गई थी। इसका उद्देश्य तकनीकी शिक्षा के लिये उपलब्ध सुविधाओं पर सर्वेक्षण करना और समन्वित तथा एकीकृत तरीके से देश में विकास को बढ़ावा देना है।
AICTE में तकनीकी शिक्षा के मानदंडों और मानकों के नियोजन, निर्माण और रखरखाव के लिये सर्वोच्च प्राधिकरण, गुणवत्ता सुनिश्चित करना तथा देश में तकनीकी शिक्षा का प्रबंधन करने के उद्देश्य सुनिश्चित है।
भारतीय तेज गेंदबाज सुदीप त्यागी ने लिया संन्यास
भारत के लिए चार वनडे और एक टी20 इंटरनैशनल मैच खेलने वाले तेज गेंदबाज़ सुदीप त्यागी ने हाल ही में खेल के सभी फॉर्मेट से संन्यास की घोषणा कर दी है। उन्होंने सोशल मीडिया पर अपने इस फैसले की जानकारी दी है।
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33 वर्षीय सुदीप ने दिसंबर 2009 में श्रीलंका के खिलाफ फिरोज शाह कोटला में अपना वनडे डेब्यू किया था। उन्होंने एक विकेट भी लिया लेकिन उनकी शुरुआत अच्छी नहीं रही, जब अंपायरों ने श्रीलंकाई पारी के दौरान ही मैच को बीच में ही रोक दिया क्योंकि पिच को असुरक्षित माना गया था।
उन्होंने फरवरी 2010 में साउथ अफ्रीका के खिलाफ अहमदाबाद में अपने करियर का आखिरी वनडे मैच खेला। राष्ट्रीय टीम के लिए अपने पांच मैचों में उन्होंने 50 ओवर के फॉर्मेट में केवल तीन विकेट लिए।
सुदीप त्यागी ने 41 प्रथम श्रेणी मैच खेले और 109 विकेट चटकाए। लिस्ट–ए में उन्होंने 23 मैचों में हिस्सा लिया और 31 विकेट लिए। उन्होंने आईपीएल करियर में 14 मैच खेले और 6 विकेट लिए। वह इस टी20 लीग के 2009 और 2010 सीजन में खेले थे।
क्रिस गोपालकृष्णन रिजर्व बैंक नवोन्मेषण केंद्र के पहले चेयरपर्सन नियुक्त
इन्फोसिस के सह–संस्थापक एवं पूर्व सह–चेयरमैन क्रिस गोपालकृष्णन को भारतीय रिजर्व बैंक के नवोन्मेषण केंद्र का पहला चेयरपर्सन नियुक्त किया गया है। गोपालकृष्णन फिलहाल स्टार्टअप विलेज के मुख्य सलाहकार हैं। यह स्टार्टअप को समर्थन प्रदान करने का केंद्र है।
रिजर्व बैंक नवोन्मेषण केंद्र
केंद्रीय बैंक ने अगस्त 2020 में रिजर्व बैंक नवोन्मेषण केंद्र (Reserve Bank Innovation Hub – RBIH) की स्थापना करने की घोषणा की थी।
केंद्रीय बैंक का उद्देश्य इस केंद्र के जरिये प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर वित्तीय क्षेत्र में नवोन्मेषण को प्रोत्साहन देना और तेजी से नवप्रवर्तन के लिए वातावरण का सृजन करना है।
रिजर्व बैंक का कहना है कि RBIH ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र तैयार करेगा जिससे वित्तीय सेवाओं और उत्पादों तक पहुंच बढ़ेगी। इससे वित्तीय समावेशन को भी प्रोत्साहन मिलेगा।
RBIH का निर्देशन और प्रबंधन चेयरपर्सन की अगुवाई वाली संचालन परिषद करेगी। संचालन परिषद के अन्य सदस्यों में सीईओ (अभी नियुक्त होना है), अशोक झुनझुनवाला (आईआईटी–मद्रास के संस्थान प्रोफेसर), एच कृष्णमूर्ति (प्रमुख शोध वैज्ञानिक, आईआईएससी–बेंगलुरु), गोपाल श्रीनिवासन (चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक टीवीएस कैपिटल फंड्स), ए पी होता (पूर्व सीईओ एनपीसीआई), मृत्युंजय महापात्रा (पूर्व सीएमडी सिंडिकेट बैंक), टी रवि शंकर (कार्यकारी निदेशक, आरबीआई), दीपक कुमार (मुख्य महाप्रबंधक, सूचना प्रौद्योगिकी विभाग–आरबीआई) और के निखिला (निदेशक–बैंकिंग प्रौद्योगिकी विकास एवं अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद) शामिल हैं।
मध्य प्रदेश में गायों के संरक्षण के लिए गौकैबिनेट का होगा गठन
मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार ने एक और बड़ी घोषणा की है। इस घोषणा के तहत शिवराज सरकार प्रदेश में ‘गौ कैबिनेट’ बनाने जा रही है। इस कैबिनेट की पहली बैठक 22 नवंबर को गोपाष्टमी पर दोपहर 12 बजे राज्य के आगर मालवा में बनाए गए गौ अभ्यारण्य में आयोजित की जाएगी।
पशुपालन, वन, पंचायत व ग्रामीण विकास, राजस्व, गृह और किसान कल्याण विभाग गौ कैबिनेट में शामिल होंगे।
शिवराज सरकार से पहले कमलनाथ की सरकार में भी गायों के संरक्षण को लेकर कई कदम उठाए गए थे। तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ ने प्रदेश की 1000 गौशालाओं के उन्नयन का फैसला लिया था।
कार्तिक माह में शुक्ल पक्ष अष्टमी को गोपाष्टमी का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन गाय और गोविंद की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने पहली बार गाय चराई थी।
गौमाता को पृथ्वी पर साक्षात देवी के समान माना जाता है। कहा जाता है कि गाय की देह में समस्त देवी–देवताओं का वास है। इसलिए गो पूजन से सभी देवता प्रसन्न होते हैं। गोपाष्टमी के दिन ग्वालों को दान करना चाहिए। गाय को हरा चारा एवं गुड़ खिलाना चाहिए। कहा जाता है कि गोपाष्टमी के दिन गाय के नीचे से निकलने से पुण्य प्राप्त होता है।
नोबेल–पुरस्कार विजेता मासातोशी कोशिबा का निधन
जापान के खगोल भौतिकविद् और भौतिकी में नोबेल पुरस्कार विजेता मासातोशी कोशिबा का निधन हो गया है। वह 94 साल के थे। उन्होंने ब्रह्मांडीय न्यूट्रिनो की खोज के लिए वर्ष 2002 का नोबेल पुरस्कार साझा किया था।
कोशिबा ने सूर्य से निकलने वाली न्यूट्रीनो किरणों को लेकर परीक्षण के लिए विशालकाय भूमिगत कक्ष तैयार किया था। कोशिबा को दो अन्य वैज्ञानिकों – पेंसिलवानिया विश्वविद्यालय के रेमंड डेविस जूनियर और इटली के वैज्ञानिक रिकॉर्डों गियाकोनी के साथ 2002 में यह पुरस्कार मिला था।
कोशिबा मध्य जापान में पहाड़ियों के बीच बनाए गए कामिओकांदे न्यूट्रीनो डिटेक्टर में कार्य करते थे। उन्होंने न्यूट्रीनो की मौजूदगी की पुष्टि की और ब्रह्मांड में सुपरनोवा विस्फोट से निकलने वाले न्यूट्रीनो कणों का भी पता लगाया।
उनकी खोज के कारण आगे कई और आविष्कार हुए। कोशिबा के ही छात्र ताकाकी कजिता को 2015 में भौतिकी के क्षेत्र में पुरस्कार मिला था। उन्होंने अपने अध्ययन में न्यूट्रीनो के द्रव्यमान का पता लगाया था।
1930 में स्विस वैज्ञानिक वोल्फगैंग पाउली द्वारा प्रस्तावित न्यूट्रिनोस, ब्रह्मांड में दूसरा सबसे व्यापक रूप से उत्पन्न होने वाला कण है। वास्तव में, न्यूट्रिनो हमारे बीच इतने अधिक प्रचुर मात्रा में हैं कि हर सेकंड, उनमें से 100 ट्रिलियन से अधिक हम में से प्रत्येक के पास से गुजर रहे हैं – हम कभी भी उन्हें नोटिस नहीं करते हैं।
विदित हो कि सूर्य से आने वाला न्यूट्रिनो हो या वायुमंडल में पहले से ही मौजूद न्यूट्रिनो, यह किसी भी प्रकार से हमारे वातावरण को क्षति पहुँचाने वाला नहीं है, क्योंकि यह बहुत ही कमजोर कण है जो अन्य कणों से अंतःक्रिया करने में लगभग असमर्थ है, जिसे हम बिना किसी वेधशाला की मदद के देख या महसूस तक नहीं कर सकते हैं।
भारत स्थित न्यूट्रिनो वेधशाला (INO) एक बड़ी वैज्ञानिक परियोजना है। केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा वर्ष 2015 में तमिलनाडु के थेनी ज़िले में एक न्यूट्रिनो वेधशाला की स्थापना संबंधी परियोजना को मंज़ूरी दी गई थी।
इसका उद्देश्य न्यूट्रिनो कणों का अध्ययन करना है। न्यूट्रिनो मूल कण होते हैं जिनका सूर्य, तारों एवं वायुमंडल में प्राकृतिक रुप से निर्माण होता है। INO की योजना न्यूट्रिनो भौतिकी के क्षेत्र में प्रयोगों के लिये छात्रों को विश्व स्तरीय अनुसंधान सुविधा प्रदान करने की है।
बोलीविया में ‘चापारे वायरस’ के मानव से मानव संक्रमण की हुई पुष्टि
नोवल कोरोना वायरस के बीच बोलीविया में एक दुर्लभ वायरस का पता चला है जिसे ‘चापारे वायरस’ कहा गया है। अमेरिकी सेंटर फोर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने इसकी पुष्टि की है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि ‘चापारे वायरस’ लोगों को संक्रमित करने की क्षमता रखता है और इबोला जैसे हेमोरहागिक फीवर (haemorrhagic fevers) का कारण बन सकता है। हालांकि, शुरू में इबोला को भी काफी खतरनाक समझा गया था मगर वैज्ञानिकों के प्रयास से जल्द ही बीमारी पर काबू पा लिया गया।
वैज्ञानिकों का कहना है कि इंसानों से इंसानों में संक्रमण जाहिर करता है कि चापारे वायरस पर अभी और शोध की जरूरत है। जिससे भविष्य में फैलनेवाले एक अन्य प्रकोप से बचा जा सके। CDC के पैथोलोजिस्ट मारिया मोराल्स ने कहा, “हमने वायरस को अलग–थलग कर दिया है और हमें ज्यादा आम बीमारी के खुलासा होने की उम्मीद है।”
चापारे वायरस के बारे में
‘चापारे वायरस’ संक्रमण का मामला 2019 में उजागर हुआ था। बोलीविया के ला पाज में दो मरीजों से तीन स्वास्थ्य कर्मचारी संक्रमित हुए थे। संक्रमण के चलते उनमें से एक मरीज और दो मेडिकल कर्मचारियों की मौत हो गई थी। वैज्ञानिकों का कहना है कि 2004 में वायरस का छोटा प्रकोप चापरे इलाके में फैला था। चापरे ला पाज के पूर्व में 370 मील दूर है।
संक्रमण के लक्षणों में बुखार, पेट दर्द, उल्टी, आंखों में दर्द, त्वचा के चकत्ते शामिल होते हैं। संक्रमण का खास इलाज अभी उपलब्ध नहीं है।
CDC के संक्रामक रोग विशेषज्ञ केटलिन कोसाबूम ने बताया कि ‘शारीरिक तरल पदार्थ’ से संभवत: वायरस फैल सकता है। इसके अलावा, माना जाता है कि चूहों से निकल इसानों में वायरस पहुंचा और हो सकता है उन्होंने इंसानों को संक्रमित कर दिया हो।
विदित है कि शारीरिक तरल पदार्थ से फैलनेवाले वायरस को श्वसन वायरस के मुकाबले आसानी से काबू किया जा सकता है।
झारखंड विधानसभा में जनजातियों के लिए एक अलग संहिता के बारे में प्रस्ताव पास
झारखंड विधानसभा ने जनजातियों के लिए एक अलग संहिता के बारे में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास किया है। पारित प्रस्ताव में जनगणना रजिस्टर में शामिल करने के लिए अलग से आदिवासी/सरना धार्मिक संहिता’ बनाये जाने की मांग की गई है।
विधानसभा में इस आशय का प्रस्ताव पारित होने के बाद, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि धार्मिक संहिता से जनजातीय समुदायों की सही संख्या मालूम होगी और इससे दस्तावेज़ तैयार करने में मदद मिलेगी।
उनका कहना था कि जनजातीय भाषाओं, संस्कृति और इतिहास को संरक्षित करने में इससे मदद मिलेगी और वे अपने संवैधानिक अधिकार प्राप्त कर सकेंगे।
इस प्रस्ताव का मुख्य उद्देश्य प्रत्येक जनगणना में जनजातियों की संख्या घटने से संबंधित चिंताओं का समाधान करना है 1931 में यह 38.03 प्रतिशत थी, जो 2011 में घटकर 26.02 प्रतिशत हो गई। बाद की जनगणनाओं में अन्य समुदायों की तुलना में जनजातियों की वृद्धि दर और कम होती गई।
विदित है कि देश में संगठित धर्मों से बाहर लाखों की संख्या में लोग हैं जो प्रकृति पूजक के रूप में जीते हैं। इस दर्शन का संगठित धर्मों की तरह कोई धर्मग्रंथ नहीं होने और लगातार खुद की व्यवस्थाओं को लिखित रूप में दर्ज न करने के कारण उनकी खींचतान संगठित धर्मों द्वारा प्राचीन काल से जारी है।
1951 की जनगणना के बाद देश के आदिवासियों को ‘अन्य’ कॉलम में डाल दिया गया था। इससे कई आदिवासी समुदाय खुद को हिंदू कॉलम में दर्ज करने लगे। लेकिन सरना आदिवासियों ने अपने समुदायों के बीच जागरूकता फैलाना शुरू किया था।
इस तरह 2011 की जनगणना में झारखंड में सरना मतावलंबियों ने लगभग 40 लाख से भी अधिक की संख्या में खुद को सरना के रूप में दर्ज किया था। हाल के दिनों में सरना धर्म कोड की मांग ने जोर पकड़ी और जगह–जगह इसे लेकर आंदोलन, प्रदर्शन, मानव श्रृंखलाएं आदि बनाए गए थे।
वास्तव में भारतीय संस्कृति की दो मूल प्रवृति वैदिक और अवैदिक है। अवैदिक प्रवृति में प्रकृति या स्त्री सिद्धांत को सबसे ज्यादा महत्व दिया जाता है। कृषि की शुरुआत स्त्रियों के द्वारा हुई इसलिए मातृसत्तात्मक समाज बने और ऐसे मातृसत्तात्मक समाज आदिवासियों के बीच ही मिलते हैं।
हल की खोज ने धीरे–धीरे कृषि में स्त्रियों की जगह पुरुषों के महत्व को स्थापित किया, लेकिन आदिवासियों के बीच आज भी कृषि में महत्वपूर्ण भूमिका स्त्रियों की है। वैदिक संस्कृति मूलतः पितृसत्तात्मक है। हालांकि सभ्य होने के क्रम में आदिम जनजातियों के बहुत से देवी–देवता और दर्शन वैदिक संस्कृति द्वारा उठा लिए गए।
फीफा ने अंडर-17 महिला फुटबाल कप रद्द किया, 2022 में भारत करेगा मेजबानी
कोविड-19 महामारी के कारण अगले साल के लिए स्थगित अंडर-17 महिला फुटबॉल विश्व कप प्रतियोगिता को अंतर्राष्ट्रीय फुटबॉल महासंघ फीफा ने रद्द कर दिया है। इसका आयोजन भारत में होने वाला था। परन्तु, भारत को 2022 में इसकी मेजबानी का अधिकार सौंपा गया है।
फीफा ने भारत में होने वाले अंडर -17 महिला विश्व कप और कोस्टा रिका में होने वाले अंडर-20 विश्व कप रद्द कर दिए लेकिन दोनों देशों को 2022 में इनकी मेजबानी के अधिकार दे दिए गए हैं।
अखिल भारतीय फुटबॉल फेडरेशन के अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि स्थानीय आयोजन समिति 2022 में होने वाले अंडर-17 महिला विश्व कप के आयोजन की नए सिरे से तैयारी करेगा।
विदित है कि वैश्विक कोविड-19 महामारी और फुटबॉल पर इसके प्रभाव को देखते हुए फीफा परिषद ने फीफा प्रतियोगिताओं से संबंधित कई फैसले लिए हैं।
इसके अलावा फीफा ने अगले महीने होने वाले फीफा क्लब विश्व कप प्रतियोगिता को अब अगले वर्ष दोहा में एक फरवरी से 11 फरवरी तक आयोजित करने की घोषणा की है। इस टूर्नामेंट के लिए दो क्लब पहले ही क्वालीफाई कर चुके हैं।
भारत के ‘परम सिद्धि’ को विश्व के 500 सुपर कंप्यूटर की सूची में मिला 63वां स्थान
राष्ट्रीय सुपर कंप्यूटिंग अभियान (एनएसएम) के तहत निर्मित ‘परम सिद्धि’ नामक भारतीय सुपर कंप्यूटर को विश्व के 500 सबसे शक्तिशाली कंप्यूटरों की सूची में 63 वां स्थान प्राप्त हुआ है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) ने यह जानकारी दी है।
भारत सरकार ने कहा है कि यह एक ऐतिहासिक क्षण है। सुपर कंप्यूटर के क्षेत्र में भारत, दुनिया की सबसे बड़ी अवसंरचनाओं के केंद्र में से एक है और यह परम सिद्धि–एआई की रैकिंग ने साबित कर दिया है।
इस रैंकिंग में जापान के सुपर कंप्यूटर फुगाकू को दुनिया के सबसे तेज कंप्यूटर का दर्जा मिला है। दुनिया के सबसे तेज 500 कंप्यूटरों की लिस्ट बनाने वाली साइट Top500 ने इसे सबसे तेज माना है।
5.267 petaflops की Rpeak और 4.6 petaflops Rmax के साथ सुपर कंप्यूटर की कल्पना C-DAC ने की थी और विज्ञान और प्रौद्योगिकी (डीएसटी) विभाग, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) की सहायता से राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन के तहत इसे विकसित किया गया है।
परम सिद्धि–एआई से राष्ट्रीय अकादमिक, विकास एवं अनुसंधान संस्थान मजबूत होंगे। यह सुपरकंप्यूटर साइबर सुरक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा, अंतरिक्ष, कृषि और मोटर वाहन को गति दे रहा है। यह MSMEs, स्टार्ट अप्स, एकेडेमिया और इंडस्ट्रीज के साथ साझेदारी को उत्प्रेरित करने में मदद कर रहा है। विदित है कि भारत 70 सुपर कंप्यूटरों का नेटवर्क बनाने के लिए राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन को लागू कर रहा है।
अरुणाचल प्रदेश में भारत का सबसे अच्छा लिंगानुपात दर्ज
अरुणाचल प्रदेश में प्रति हजार पुरुषों पर पैदा होने वाली 1,085 महिलाओं के साथ भारत में सबसे अच्छा लिंग अनुपात दर्ज किया गया, जबकि मणिपुर ने सबसे खराब हालात हैं। यह अनुपात प्रति हजार पुरुषों पर जन्म लेने वाली महिलाओं की संख्या को दर्शाता है।
सिविल पंजीकरण प्रणाली के आधार पर भारत के महत्वपूर्ण आँकड़ों पर 2018 की रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। रिपोर्ट महापंजीयक और जनगणना आयुक्त कार्यालय द्वारा जारी की गई थी।
अरुणाचल प्रदेश के अलावा, दो अन्य पूर्वोत्तर राज्यों ने इस सूची में शीर्ष स्थान हासिल किया है। नागालैंड (965) ने दूसरा स्थान और मिजोरम (964) ने तीसरा स्थान हासिल किया है। शीर्ष पांच राज्यों में केरल (963) चौथे और कर्नाटक (957) पांचवे स्थान पर है।
वहीँ दिल्ली में लिंगानुपात 929, हरियाणा में 914 और जम्मू और कश्मीर में 952 दर्ज किया गया है। सबसे खराब प्रदर्शन मणिपुर (757), लक्षद्वीप (839), दमन और दीव (877), पंजाब (896) और गुजरात (896) ने किया है।
2018 में पंजीकृत जन्मों की संख्या बढ़कर 2.33 करोड़ हो गई है जो पिछले वर्ष के 2.21 करोड़ पंजीकृत जन्म थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2018 में जन्म के पंजीकरण का स्तर बढ़कर 89.3% हो गया है।
लिंगानुपात 30 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के आधार पर निर्धारित किया गया है। विदित है कि दुनिया में लड़कियों की लड़कों की तुलना में कमी है। इसलिए लिंगानुपात असंतुलित हैं।
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